
शहीद तुकाराम के फौलादी सीने से टकरा कर आतंकियों के नापाक इरादे भी चूर-चूर हो गए। शहीद तुकाराम ओम्बाले ने आतंकियों से लोहा लेते हुए अपनी जान दे दी। डी बी पुलिस स्टेशन में हेड कांस्टेबल तुकाराम उस टीम के सदस्य थे जिसने गिरगांव चौपाटी पर आतंकियों से मुकाबला किया और एक खतरनाक आतंकी को ढेर करते हुए एक को धर दबोचा। जैसे ही पुलिस को आतंकवादियों की हाईजैक की हुई स्कोडा कार के गिरगांव चौपाटी की ओर आने की सूचना मिली, डी बी पुलिस स्टेशन की टीम ने रास्ते की नाकेबंदी कर दी। एस पी तानाजी घाडगे का कहना है कि हमको कंट्रोल रूम से सूचना मिली की गिरगांव चौपाटी से हाइजैक की हुई गाड़ी आ रही है। हमने हमारा बंदोबस्त चौपाटी पर लगा दिया था। जैसे ही आतंकियों की गाड़ी दिखी, पुलिस ने चेतावनी देते हुए नीचे उतरने को कहा लेकिन आतंकवादियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दीं। उसी समय तुकाराम ओम्बले इन आतंकवादियों पर झपट पड़े। एक आतंकवादी की बंदूक से चली पांच गोलियां उनकी छाती को छलनी कर गईं। लेकिन तुकाराम ने गोली लगने की परवाह न करते हुए आतंकी को पकड़ लिया। तुकाराम को गोली लगते देख पुलिस के बाकी साथियों ने हौसला दिखाया और उस आतंकी को धर दबोचा। पुलिसवाले तुकाराम की इस वीरता को सलाम करते हैं। वो मान रहे हैं कि अगर तुकाराम ने वीरता न दिखाई होती तो आतंकवादी जिन्दा नहीं पकड़ा जाता। PSI भास्कर कदम का कहना है कि जब आतंकवादियों ने गोलीबारी की तो ओम्बले ने सामने आकर उसे झपट लिया। जिससे आतंकवादियों की पांच गोलियां उनके सीने में जा धसीं। अगर वे नहीं होते तो ये गोलियां किसी और पुलिस वालों को लगतीं और इस आतंकवादी को जिन्दा पकड़ पाना मुमकिन नहीं होता।
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